tag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post1541031732937410156..comments2023-10-25T15:48:27.551+05:30Comments on इंक़लाब: माओवाद और मानवाधिकारUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post-47529746132092328052010-03-31T22:47:02.569+05:302010-03-31T22:47:02.569+05:30मानवाधिकार संगठनों की बाबत आपकी राय जायज है। एक मा...मानवाधिकार संगठनों की बाबत आपकी राय जायज है। एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में इन संगठनों पर आपके सवालों के जवाब दिए जाने चाहिए। माकपा से अलग होते वक्त मौजूदा लोकतंत्र को बुर्जुआ तथा वर्ग शत्रु के खात्मे को रणनीति बताने वाले समूह का बड़ा धड़ा माओवादी हैं परन्तु स्टालिन तथा क्रान्ति में हिंसा की भूमिका की बाबत माकपा -भाकपा को भी अपनी राय स्पष्ट बतानी चाहिए। छठे और सातवें दशक के नागरिक अधिकार संगठनों में बहुत से सर्वोदयी भी सक्रिय थे जिन पर हिंसा का साथ देने का आरोप लगाना नामुमकिन था। १९७७ की केन्द्र सरकार द्वारा कथित मुट्भेड़ों की जांच हेतु समिति बनाना मानवाधिकार के मार्ग में मील का पत्थर था।अफ़लातूनhttp://samatavadi.wordpress.comnoreply@blogger.com