tag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post3066801453881568493..comments2023-10-25T15:48:27.551+05:30Comments on इंक़लाब: साजिश की सोच के सरोकारUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post-19895425165210510282009-01-09T14:30:00.000+05:302009-01-09T14:30:00.000+05:30बहुत सही विश्लेषण किया है आपने। नवभारत टाइम्स क ऑन...बहुत सही विश्लेषण किया है आपने। नवभारत टाइम्स क ऑनलाइन वर्ज़न में मुंबई हमले से जुड़ी हर खबर पर जितने भी कमेंट आते थे उनमें इस तरह की सोच की भरमार रहती थी। न जाने ये कुछ अलग करने की चाह से ऐसा कर रहे थे या कोई और वजह रही, लेकिन कुल मिलाकर इस तरह के विचार देश के लिए कतई अच्छे नहीं हैं। और देखा जाए तो हमारी लचर व्यवस्था ही इस तरह के विचारों को पैदा करने के लिए दोषी है। लोगों को हमारे नेताओं और प्रशासन की कारगुज़ारियों ने जनता में अविश्वास सा पैदा कर दिया है। इसी लचरता की वजह से हर बार दूषित मानसिकता वाले इन लोगों को अपना विष उगलने का मौका मिल जाता है। देश के इलेक्टोरल सिस्टम सहित तमाम विभागों में बड़ा परिवर्तन करने की ज़रूरत है नहीं तो ये सोच और आदतें विरासत की तरह आगे बढ़ती रहेंगी।Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.com