tag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post9092505670017767747..comments2023-10-25T15:48:27.551+05:30Comments on इंक़लाब: मुद्दा वही, विकल्प धुंधलाUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post-36266491150188054802009-04-19T23:43:00.000+05:302009-04-19T23:43:00.000+05:30बहुत साफ शब्दों में , मतदाता को सोच समझ कर मतदान क...बहुत साफ शब्दों में , मतदाता को सोच समझ कर मतदान करने की ये अपील सराहनीय हैं। वाक्ई देश को जोड़ने का काम सबसे अहम हैं,पहले यहीं सोचना चाहिए कि कौन राजनीतिक दल हमें जोड़ रहा हैं और कौन भारतीयों को एक दूसरे से भिड़ाने की जुगत में हैं। मतदान के लिए ये कसौटी अनिवार्य होनी चाहिए।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post-20850032786961362452009-04-11T12:04:00.000+05:302009-04-11T12:04:00.000+05:30जिस बात को ये लोग भदेस ढंग से कहते हैं, उसी को लाल...जिस बात को ये लोग भदेस ढंग से कहते हैं, उसी को लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, अरुण शौरी ज़हीन भाषा में बोलते हैं।....VAJPEYI BHIEk ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.com