tag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post6878671401270879427..comments2023-10-25T15:48:27.551+05:30Comments on इंक़लाब: एक सहयोग, जो मजबूरी हैUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post-40805234004576255752009-05-01T23:52:00.000+05:302009-05-01T23:52:00.000+05:30सर...इनकी मजबूरी बनी रहे या नहीं हम आपको पढ़ते रहे...सर...इनकी मजबूरी बनी रहे या नहीं हम आपको पढ़ते रहेगें .आप भी संपर्क में रहियेगा...हैदर अब्बास नकवीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6648946924866891112.post-67788260982688616882009-05-01T10:22:00.000+05:302009-05-01T10:22:00.000+05:30अगर वामपंथी दल अब किसी ऐसे संवाद की धुरी बनते हैं,...अगर वामपंथी दल अब किसी ऐसे संवाद की धुरी बनते हैं, जिससे ऐसा भरोसा पैदा हो सके तो यह आम चुनाव भारतीय लोकतंत्र को विकास की एक नई मंजिल तक ले जा सकेगा।<br /><br />आपकी इस बात से मैं भी सहमत हूँ।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.com